खूबसूरती या हुस्न की तारीफ का साहित्य में और आम जिंदगी में क्या महत्व है? पहले हम इसके बारे में थोड़ी सी चर्चा कर लेते हैं। तारीफ करने की आदत रिश्तों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है। किसी को खुश करने के लिए भी लोग अक्सर उसकी तारीफ करते हैं। यदि तारीफ किसी कविता या शायरी के माध्यम से के जाए तो उसमें चार चाँद लग जाते हैं। इसलिए हुस्न की तारीफ पर शायरी का विशेष महत्व है। साहित्य में प्रेम और शृंगार का महत्वपूर्ण स्थान है। और प्रेम व शृंगार में सुन्दरता, खूबसूरती या हुस्न का अद्वितीय स्थान है। सिर्फ इतना ही नहीं कुछ प्रेम ग्रंथों का तो मूल ही खूबसूरती है। इसलिए प्यार – मौहब्बत के साहित्य में खूबसूरती या हुस्न की तारीफ के बारे में बहुत लिखा जाता है। यदि शेरो शायरी की बात करें तो हुस्न की तारीफ पर शायरी बहुत अधिक मात्रा में लिखी गयी है। इसकी एक वजह यह भी है कि शायरी का मुख्य विषय प्यार – मौहब्बत, हुस्न, खूबसूरती ही हैं। खूबसूरती की तारीफ पर शायरी का यह संग्रह हमने अलग – अलग शायरों की चुनिंदा शायरियों को लेकर तैयार किया है। तेरी नज़रों की सिफारिश कहाँ तक करूँ। इनके बीच में रहकर जीऊँ या मरूँ।। ये नजरें ही नहीं तेरा नजारा व नजरिया है, चाहत है इनमें ही टहलता फिरूँ।। उसके हुस्न पर मेरी तबियत बस आ ही गयी। एक अदा ऐसी थी जो मन को भा ही गयी।। तुम्हारी नजरों का नजारा ही कुछ और है। देखता हूँ कुछ इनमें दिखता कुछ और है।। इसी बहाने से बस जाऊँ आपकी आँखों में, लगता है यही धरती पर जन्नत का ठौर है।। लबों को न हिलाना वरना इनके जाम छलक जाएँगे। खुदा कसम गर ऐसा हुआ तो हम बहक जाएँगे।। कभी तेरी कातिल निगाहों से टकराते हैं हम। कभी तेरी मासूम जवानी पर इतराते हैं हम।। तुम लगते तो मासूम हो पर निगाहें खंजर हैं, ये क्यों कहते हो कि हममें कोई खासियत नहीं। हुस्न की सहजादी और परियों की रानी। देखती हो छुप के करती हो बेईमानी।। गौरा रंग, काले बाल, और तेरी मतवाली चाल। देख तेरा भोलापन दीवाना हो गया बेहाल।। लोहे की शमशीर से बढ़कर है तेरी नजरों का तीर। खाके तीर नजर का कितनों ने छोड़ी अपनी जागीर।। दिल के करीब आ गए देखा जो तुमको दूर से। डर है कि हो न जाए कहीं मुहब्बत हुजूर से।। सूरत का तलबगार नौकर हूँ चाह का। घायल पड़ा हूँ उस तिरछी निगाह का।। फूलों सा खिलता रूप तुम्हारा आँखों में उतर गया। तीर तुम्हारी नजरों ने दिल मेरा घायल कर दिया।। आँख नशीली होठ गुलाबी तेरे ये गोरे – गोरे गाल। मेरे दिल में आग लगाए तेरी ये मतवाली चाल।। तेरी नजरों में वो जादू है कि सीधा चला आता हूँ। तेरे होठों पे हँसी शराफत की देख दीवाना हो जाता हूँ।। निखरा तेरा चेहरा निखरी तेरी जवानी। लगी है आग इश्क की माँगता हूँ पानी।। आप अपनी नजर में समाए जाते हैं। संवारते जाते हैं और मुस्कुराए जाते हैं।। इठलाकर क्या गजब की चाल चलती हो। परियाँ भी शर्माती हैं जब शृंगार करती हो।।
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