स्वतंत्र युवापीढ़ी पर निबंध लेखन
आज़ादी का अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति किसी का गुलाम न हो एवं अपने जीवन में लंबे समय तक अपने मन की करे। स्वतंत्रता का मतलब है-‘स्वयं की तंत्रता। किसी इंसान की स्वतंत्रता तब तक है जब तक वह समाज के दायरे में रहे और कुछ अपमानजनक न करे।
आजकल कई माता-पिता अपने ही बच्चों पर भरोसा नहीं करते और कुछ अपने बच्चों की गतिविधियों को नियंत्रित रखते है। यह तरीका उन्हें सही राह दिखाने के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है। यह बच्चों की जिन्दगी में तनाव पैदा करता है जिससे वह गलत कदम उठा लेते हैं। माँ-बाप को ही अपना दुश्मन बना लेते हैं या कोई बुरा कार्य अथवा अपराध कर बैठते है। सही राय में बच्चों को उनकी स्वतंत्रता प्रदान करनी चाहिए जिससे वह अपने मुसीबतों का सामना खुद करे और दूसरों पर आश्रित न रहे।
आज़ादी देने के साथ ही साथ अभिभावकों को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि कहीं उनका बच्चा आज़ादी का दुपयोग तो नहीं कर रहा? बच्चों को आजादी 15-17 साल की उम्र में दे देनी चाहिए क्योंकि यह वक्त उनकी किशोरावस्था का होता है। उनकी जिम्मेदारियाँ
बढ़ जाती है और वे परिश्रमी एवं मेहनती बन जाते है, जो भविष्य में उन्हें सफलता की राह दिखाती है। बच्चों को इतनी भी आज़ादी नहीं देनी चाहिए कि वे अपने मन की करना शुरु कर दें और बड़ों की राय लिए बिना ही अपने कार्य को पूर्ण मानें। इसका परिणाम यह होगा कि वे धीरे-धीरे अपने माँ-बाप को मान्यता देना बंद कर देंगे और अच्छे-बुरे की समझ खो बैंठेंगे।