मधुमेह बीमारी मौजूदा समय में प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती बन रही है और हमारे देश में, खास तौर पर शहरों में इसका प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2000 में भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या 3 करोड़ 20 लाख थी जो बढ़कर करीब दोगुनी 6 करोड़ 30 लाख हो गई तथा अगले 15 वर्षों में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़कर 10 करोड़ 10 लाख हो जाने का अनुमान है।
डायबिटीज़ बेहद घातक होता है, इसमें शरीर के हर हिस्से को धीरे-धीरे बर्बाद करने की क्षमता होती है. डायबिटीज़ यानी मधुमेह की वजह से हम ऐसी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं, जिनका इलाज अगर सही वक़्त पर ना किया जाए तो यह जानलेवा हो सकता है।
डायबिटीज क्यों होती है?
डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जिसमें ब्लड के अंदर ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित नहीं हो पाता है।
हमारे शरीर के अंदर पैंक्रियाज नाम की एक ग्रंथि होती है। यह इंसुलिन नाम का हॉर्मोन बनाती है। यह हॉर्मोन हमारे शरीर में प्रवाहित होनेवाले रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखने का काम करता है।
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लेकिन जब कुछ कमियों के चलते पैंक्रियाज इंसूलिन का उत्पादन कम कर देती है या बंद कर देती है तो रक्त में ग्लूकोज का स्तर लगातार बढ़ने लगता है और अंत में डायबिटीज का रूप ले लेता है।
डायबिटीज़ के प्रकार
डायबिटीज बीमारी 2 प्रकार की होती है
टाइप-1 डायबिटीज
इस प्रकार के डायबिटीज के रोगी के शरीर में इन्सुलिन का निर्माण आवश्यकता से कम होता है। इस अवस्था को बाहर से इन्सुलिन देकर नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें रोगी का अग्न्याशय या पैनक्रियास की बीटा कोशिकाएँ इन्सुलिन नहीं बना पाती जिसका उपचार लगभग असम्भव है। यह प्रकार बच्चों को एवं 18-20 साल तक के युवाओं को प्रभावित करता है।
टाइप-2 डायबिटीज
रोगी का शरीर इन्सुलिन का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इसमें शरीर इन्सुलिन बनाता तो है लेकिन कम मात्रा में और कई बार वह इन्सुलिन अच्छे से काम नहीं करता। टाइप-1 डायबिटीज को उपचार और उचित खानपान से नियंत्रित किया जा सकता है। यह डायबिटीज वयस्कों को होता है।
डायबिटीज मे शरीर के अंदर बदलाव
जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है तो लाल रक्त कोशिकाएं जो घाव को जल्दी भरने का काम करती हैं, ग्लूकोज की अधिकता के कारण वे अपना काम नहीं कर पाती हैं।
श्वेत रक्त कोशिकाएं जो हमारे शरीर को संक्रमण और रोगों से बचाने का काम करती हैं, उनका प्रभाव ग्लूकोज की अधिकता के कारण कम हो जाता है।
इस स्थिति में हमारा इम्यून सिस्टम काफी प्रभावित होता है।
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इस कारण शुगर के मरीजों के संक्रमण और इंफेक्शन जल्दी-जल्दी होने लगते हैं। साथ ही सामान्य स्थिति की अपेक्षा जल्दी बीमारियां पकड़ने लगती हैं लेकिन इनके ठीक होने का समय कई गुना बढ़ जाता है।
डायबिटीज़ से किडनी भी काफी प्रभावित होती है।
शुगर का असर किडनी पर भी होता है इससे शुगर के मरीजों को जल्दी-जल्दी यूरिन पास होता है।
शुरू में इस बीमारी के कारण पेशाब में प्रोटीन की मात्रा दिखाई देती है। जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप, शरीर में सूजन जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो जाते हैं जो धीरे-धीरे किडनी को ओर नुकसान पहुँचते हैं। किडनी की कार्य क्षमता में लगातार गिरावट होती जाती है और किडनी, विफलता की ओर अग्रसर हो जाती हैं। मधुमेह के कारण जो किडनी की समस्या होती है उसे डायाबिटिक किडनी डिजीज कहते हैं। इसका मेडिकल शब्द डायाबिटिक नेफ्रोपौथी है।
डायबिटीज़ के लक्षण
पैरों में झुनझुनी महसूस करना
ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने से आपका नर्वस सिस्टम ख़राब हो सकता है, यह हाथों और पैरों की तंत्रिकाओं को बर्बाद कर देता हैं, जिसे डायबिटिक पेरिफ़ेरल न्यूरोपैथी के नाम से जाना जाता है. उँगलियों और टखनों में झुनझुनी होना, इस बीमारी के शुरूआती लक्षणों में से एक है।
घाव और छालों का होना
डायबिटिक लोगों में अपने आप छालों का होना अनियंत्रित ब्लड शुगर लेवल का नतीजा होता है. डायबिटीज़ के चलते होने वाले छाले अक्सर उंगलियों, टखनों और पैरों में होते हैं. ऐसे घाव और छाले क्यों पड़ते हैं, इसकी कोई तय वजह अब तक मालूम नहीं हुई है।
ज़ख़्मों का जल्दी न भरना
डायबिटिज़ के चलते एक समय के बाद रक्त का संचार (ब्लड सर्कुलेशन) भी प्रभावित होता है, जिसकी वजह से शरीर का घाव जल्दी नहीं भर पाता. इसलिए अगर छोटी से छोटी चोट, घाव, छालों को भरने में समय लगता है, तो यह इस बात की चेतावनी है कि अब आपको अपने डायबिटीज़ को कंट्रोल करना चाहिए।
त्वचा से संबंधित बीमारियां
घाव भर पाने की कमज़ोर क्षमता के साथ ही, ख़राब ब्लड सर्कुलेशन की वजह से शरीर संक्रमण (इंफ़ेक्शन) से लड़ने मंह भी नाकामयाब होने लगता है. इसलिए अगर आपको शरीर के किसी भी हिस्से में लाल निशान, खुजली, सूजन महसूस हो, तो समझिए कि यह डायबिटीज़ की वजह से होने वाला त्वचा संबंधित संक्रमण है।
डायबिटिक व्यक्ति के पैरों में होने वाली सूजन और क्रैम्प उसे एक तरह से डायबिटिक न्यूरोपैथी की ओर ले जाने का संकेत देते हैं. किडनी का काम होता है शरीर के अनचाहे पदार्थों को बाहर निकालना. अगर लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर की शिकायत हो, तो इससे किडनी ख़राब हो सकती है और किडनी के काम करने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है. नतीजतन शरीर में अनचाहे पदार्थ इकट्ठा होने और पैरों में सूजन होने लगती है. इतना ही नहीं, गंभीर स्थिति में किडनी फ़ेल भी हो सकती है।
पाचन की समस्या
उल्टी होना, जी मिचलाना, सूजन या डायरिया जैसे लक्षण भी डायबिटीज़ के चलते डाइजेस्टिव सिस्टम में नर्व के डैमेज होने की ओर इशारा करते हैं, या फिर ऐसा होना डाइजेस्टिव सिस्टम (पाचन तन्त्र) में ख़राब सर्कुलेशन के चलते होने वाले संक्रमण का नतीजा भी हो सकता है.
आंखो पर असर
मधुमेह से ग्रसित लोगों में आजकल डायबिटिक रेटिनोपैथी की शिकायत ज़्यादा देखी जा रही है. जिसमें नज़रें धुंधली होने लगती है और हम इसे अनदेखा करते हैं, रक्त में संचार (ब्लड सर्कुलेशन) की समस्या डायबिटिक लोगों में काफ़ी गंभीर हो सकती है, इससे आँखों के ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाएं) भी ख़राब हो सकते हैं. अगर इसका इलाज नहीं किया जाए, तो तकलीफ़ मोतियाबिंद, ग्लोकोमा और रौशनी ख़त्म होने तक पहुँच सकती है.
डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के उपाय
यदि उचित खान पान और जीवनशैली के साथ घरेलु उपचारों का प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है। उचित आहार और जीवनशैली का पालन करने से डायबिटीज में होने वाले लक्षण एवं जटिलताओं से भी बचा जा सकता है।
सब्जियों में करेला, ककड़ी, खीरा, टमाटर, शलजम, लौकी, तुरई, पालक, मेथी, गोभी यह सब खाना चाहिए। आलू और शकरकन्द का सेवन नहीं करना चाहिए।
तुलसी में मौजूद एन्टीऑक्सिडेंट और जरुरी तत्व शरीर में इन्सुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते है। डायबिटीज के रोगी को रोज दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट खाने चाहिए।
नियमित तौर पर भोजन के बाद सौंफ खाएँ। सौंफ खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है।
करेले का जूस शुगर की मात्रा को कम करता है। डायबिटीज को नियंत्रण में लाने के लिए करेले का जूस नियमित रुप से पीना चाहिए।
जामुन के फल में काला नमक लगाकर खाने से रक्त में शुगर की मात्रा नियत्रित रहती है।
रक्त में शुगर के स्तर को कम रखने के लिए एक महीने तक अपने प्रतिदिन के आहार में एक ग्राम दालचीनी का प्रयोग करें।
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