पोला त्योहार, महाराष्ट्र का पोला त्योहार क्या है
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Satish Halmare
महाराष्ट्र की भूमि का एक बड़ा हिस्सा कृषि द्वारा कवर किया गया है। एक बड़ा समुदाय है जो अपनी बुनियादी आवश्यकताओं के लिए खेती पर निर्भर करता है। यह समुदाय खेती या कटाई के मौसम की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए अपने स्वयं के त्योहार मनाता है। उनके द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार पोला है। यह मुख्य रूप से ग्रामीण महाराष्ट्र में किसानों द्वारा मनाया जाने वाला फसल उत्सव है।
हारून शेख़
पोला त्योहार महाराष्ट्र में मनाए जाने वाला त्योहार है।
छत्तीसगढ़ में पोला मूलत: खेती-किसानी से जुड़ा त्योहार है। अगस्त महीने में खेती किसानी का काम समाप्त हो जाने के बाद भाद्र पक्ष की अमावस्या को यह त्यौहार मनाया जाता है।
पोला त्योहार मनाने के बारे में ऐसा कहा जाता है कि चूंकि इसी दिन अन्नमाता गर्भ धारण करती है अर्थात् धान के पौधों में इस दिन दूध भरता है, इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोगों को खेत जाने की मनाही होती है।
पोला पर्व महिलाओं, पुरुषों एवं बच्चों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है। पोला के कुछ ही दिनों के भीतर तीजा मनाया जाता है। महिलायें इसलिये पोला त्योहार के वक्त अपने मायके में आती हैं। इस दिन हर घर में विशेष पकवान बनाये जाते हैं जैसे ठेठरी, खुर्मी। इन पकवानों को मिट्टी के बर्तन, खिलौने में पूजा करते समय भरते हैं ताकि बर्तन हमेश अन्न से भरा रहे। बच्चों को मिट्टी के बैल मिट्टी के खिलौने मिलते हैं। पुरुष अपने पशुधन को सजाते हैं, पूजा करते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं। मिट्टी के बैलों को लेकर बच्चे घर-घर जाते हैं जहाँ उन्हें दक्षिणा मिलती है।
बैलगाड़ी वाले अपने बैलों की जोड़ियाँ सजाकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं। बैलों के बीच दौड़ भी आयोजित की जाती है। विजयी बैल जोड़ी एवं मालिक को पुरस्कृत किया जाता है।
गाँव में युवक-युवतियाँ एवं बच्चे अपने-अपने साथियों के साथ गाँव के बाहर मैदान में पोरा पटकने जाते हैं। इस परंपरा में युवक युवतियाँ अपने-अपने घरों से एक-एक मिट्टी के खिलौना ले जाकर निर्धारित स्थान में फोड़ते हैं और बाद में अपनी-अपनी टोली बनाकर मैदान में सूरपाटी, कबड्डी, खो-खो खेल खेलते हैं।
Content source: http://ignca.nic.in/coilnet/chgr0037.htm