चिड़ियाघर पर निबंध
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Manish kumar
प्रस्तावना: कहा जाता है कि हमारा मन चंचल घोड़े के समान होता है।कभी यहाँ तो कभी वहाँ ,इसकी चंचल गति होती है।दूसरे शब्दों में यह की कभी भी वह एक जैसा नही रहता है।इस तरह यह निरंतर तरह-तरह की उड़ाने भरता रहता है।फिर भी यह तनिक भी नही थकता है।इस तरह ये कभी खुशी से उछल जाता है।तो कभी निराशा में फब जाता है।अपनी निराशा को दूर करने के लिये ये अपने मे सुधार या बदलाव लाता रहता है।इसके लिए उसे अपेक्षित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता हैं।इस तरह यह अपनी निराशा को हटा कर प्रफुल्लित हो उठता है।
तैयारी: गर्मी की छुट्टी चल रही थी हम अपनी अपनी मित्र मंडली के साथ गपशप कर रहे थे उस गपशप का विषय था कि गर्मी की छुट्टी में कुछ और शेर सपाटा करना चाहिए ।गपशप बढ़ती बढ़ती उस बिंदु पर आ गए की कही सैर के लिए चले कहां चले इस प्रश्न को सुनते ही सबके मन में अचानक खायाल आया क्यों ना चिड़ियाघर की सैर के लिए चले सबको हमारा सुझाव पसंद आया ।हम सब सहमत हो गए ।फिर क्या हम चारो मित्र अपने निश्चय के अनुसार दूसरे दिन ही चिड़िया घर की सैर के लिए अपने-सपने घर से रवाना हुए।हम लोग दिल्ली का चिड़िया घर देखने के लिए एक साथ बस में बैठकर चिड़िया घर पहुच गए।
स्थिति: दिल्ली का चिड़ियाघर दिल्ली के पुराने किले के पास है।दिल्ली का पुराना किला अर्थात कौरव पांडव का किला के साथ ही दिल्ली के चिड़ियाघर की भी शुरुआत हो जाती है।जो इसके साथ चलने पर दूसरी तीसरी ओर चौथी दशा में लगभग गोलाकार दिखाई देती है।इस तरह ये चिड़िया घर लगभग कई लंबे चौड़े एरिया में फैला हुआ है इसकी सीमा चार दिवारी से घिरी हुई है।ताकि कोई जानवर उससे बहार ना जा सके।इस प्रकार चिड़ियाघर का पूरी सिमा एक सुरक्षित सिमा है।जो इसके जानवरों की सुरक्षा देखभाल और उनसे होने वाले खतरों से बचाने की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी और महत्वपूर्ण सिद्ध होती है ।
स्वरूप: चिड़ियाघर घर के मुख्य द्वार पर हमने और लोगों की तरह प्रवेश टिकत लिए।इसके बाद चिड़ियाघर में प्रवेश किया सभी लोगों की तरह हम लोगों ने परंपरागत ढंग से एक ओर से चिड़ियाघर के जानवरों को देखने का सिलसिला शुरू किया।
सबसे पहले हमने विभिन्न प्रकार के जल जीव देखे। हमने देखा कि तालाब में तैरती हुई बतखें बड़े ही स्वतंत्रता पूर्वक दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है।उसी तरह हमने देखा कि रंग-बिरंगी मछलियां सबके मन को लुभा रही हैं। हमने और जल जीव को देखा,जो एक दूसरे से काफी भिन्न थे।हमने मगरमच्छ भी देखे ।हमने उसे देखा कि यह जल में ओर जमीन पर बड़ी खुशी के साथ रह लेता है।
कुछ आगे बढ़ने पर हमने देखा कि हरी-भरी जमीन पर शाकाहारी जानवर चर रहे हैं ।उसमें गाय, घोड़ा, नीलगाय ,हाथी ऊंट आदि प्रमुख थे। इस प्रकार के शाकाहारी जानवरों में गेंडा बड़ा ही अद्भुत और आकर्षक जानवर दिखाई दिया था ।इस जानवर के खास विशेषता यह है कि हमेशा पानी के गड्ढे में ही रहता है।
चिड़ियाघर की सैर करते-करते हम छोटे बड़े जीव जंतुओं की और पहुंच गए वहां जाकर हमने देखा कि वह छोटे बड़े पक्षी परस्पर आनंद ले रहे थे। इनमें तोता, मैना, गोरैया ,कबूतर शतुरमुर्ग , ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाला एक विशेष प्रकार का शतुरमुर्ग भी यहाँ था।मुर्गा , मोर बाज,आकर्षक पक्षी थे।इससे आगे बढ़ने पर हमने कुछ जहरीले और भयानक जीव जंतुओं को देखा ।उसमे से साँप,बिच्छू, गिरगिट,छिपकली,आदि थे।वही पर हमने बहुत ही बड़ा लगभग 10 मीटर लंबा एक ऐसा अजगर देखा जिसके मोटाई लगभग 3 सेंटीमीटर होगी। उसका वजन भी लगभग 2 क्विंटल से कम ना रहा होगा। उसे सभी दर्शक अपने चकित आखों से बार-बार देखते हुए बहुत ही डर रहे थे।
ईसके बाद हम चिड़ियाघर के उस क्षेत्र में पहुंच गए जहां केवल हिंसक पशु थे उसमें शेर ,बाघ ,चीता ,बंदर ,भालू हाथी आदि थे। वहां पर हमने एक ऐसे भयानक बाघ को देखा जिसकी आंखें और पंजे बहुत ही बड़े और तेजतर्रार थे। उसे देखकर ऐसा लगता था मानो वह अभी निगल जाएगा।उसकी गर्जना सचमुच दिल को दहलाने वाली थी ।इसके बाद अपने हाल ही में जंगल से लाए गए शेर-शेरनी ओर उसके बच्चों को देखा। शेरनी अपने बच्चों को दूध पिला रही थी ।तो वही पर शेर बैठा हुआ था।और अपने बच्चों को सुरक्षा कर रहा था।भय और शंका से कभी-कभी गुरा भी रहा था।
उपसंहार: चिड़िया घर की सैर के अंतिम चरण में हमने वनमानुष को देखा।इसे देखकर हमने अनुभव किया कि किस तरह मनुष्य प्राचीन काल मे अज्ञानता से ढका हुआ था। शाम होते-होते हम चिड़ियाघर की पूरी सैर कर चुके थे।घर आते-आते रात हो गयी थी।शाम को बड़े अजीब-अजीब ओर रोचक सपने आये जो चिड़ियाघर की सैर से प्रभावित थे।हम आज भी उस चिड़ियाघर को नही भूल पाए है।