Sign Up

Have an account? Sign In Now

Sign In

Login to our social questions & Answers Engine to ask questions answer people's questions & connect with other people.

Sign Up Here

Forgot Password?

Don't have account, Sign Up Here

Forgot Password

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.

Have an account? Sign In Now

Please type your username.

Please type your E-Mail.

Please choose an appropriate title for the question so it can be answered easily.

Please choose suitable Keywords Ex: question, poll.

You must login to add post.

Forgot Password?

Need An Account, Sign Up Here
Sign InSign Up

भारतीय हिंदी सोशल Q & A प्लेटफार्म,

भारतीय हिंदी सोशल Q & A प्लेटफार्म, Logo भारतीय हिंदी सोशल Q & A प्लेटफार्म, Logo
Search
Ask A Question

Mobile menu

Close
Ask a Question
  • Add Post
  • Blog (ब्लॉग)
  • विषय (Categories)
  • Questions
    • New Questions
    • Trending Questions
    • Must read Questions
    • Hot Questions
    • Poll Questions
  • Polls
  • Tags
  • Badges
  • Users
  • Help
Home/ Questions/Q 245
Next
हारून शेख़
हारून शेख़

हारून शेख़

  • Harun
  • 66 Questions
  • 9 Answers
  • 2 Best Answers
  • 118 Points
View Profile
हारून शेख़Guru
Asked: July 3, 20202020-07-03T17:54:40+00:00 2020-07-03T17:54:40+00:00In: हिंदी लेख (Hindi Article)

आत्मकथा क्या है? संक्षिप्त व पूर्ण जानकारी

आत्मकथा क्या है? संक्षिप्त व पूर्ण जानकारी

आत्मकथा गद्य की एक नवीन विधा है। यह उपन्यास कहानी-जीवनी की भाँति लोकप्रिय है। इसमें लेखक अपनी अन्तरंग जीवन-झाँकी चित्रित करता है और व्यक्ति, समाज, समूह के विषय में निजी अनुभूतियों को शब्द चित्रों के माध्यम से अभिव्यंजित कर देता है। आत्मकथाकार अपनी आत्मा को परत-दर-परत खोलता जाता है तथा जीवन के गूढ़-अगूढ़, ज्ञात-अज्ञात, अनछुए पहलुओं को दिखला देता है। आत्मकथा में सच्चाई एवं जीवन की यथार्थ स्थिति का बोध कराया जाता है। उसमें कल्पना की गुंजाइश कम ही रहती हैं। लेखकीय जीवन के जो आदर्श एवं मूल्य रहते हैं, उन्हें वह ईमानदारी के साथ व्यक्त कर देता है। वह पाठक को अपने साथ बहा ले जाता है, वह अपनी आँखों से जीवन-जगत् के दृश्यों का अवलोकन करा देता है।

आत्मकथा का तात्विक विवेचन

आत्मकथा शब्द दो शब्दों के योग से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है – स्वयं की कहानी। जब लेखक अपनी कथा जन्म से लेकर अद्यावधि (लेखन के समय तक) कहता जाता है, तो वही आत्मकथा बन जाती है। हिन्दी शब्दकोश में इसे स्वलिखित जीवन -चरित कहा गया है। यह शब्द आत्मन् से निर्मित हुआ जिसका अर्थ है अपना, निज का आत्मा का या मन का स्वरूप। कथा का अभिप्राय है-कहानी, अतः आत्मकथा का अर्थ हुआ – अपनी कहानी। हिन्दी के समीक्षकों ने आत्मकथा को परिभाषित करने का यत्न किया है। कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं… डॉ० नगेंद्र – आत्मकथाकार अपने सम्बन्ध में किसी मिथक की रचना नहीं करता, कोई स्वप्न-सृष्टि नहीं करता वरन अपने गत जीवन के खट्टे-मीठे, प्रसन्न-विषण्ण, उजले-अँधेरे, साधारण से असाधारण संचरण पर मुड़कर एक दृष्टि डालता है, अतीत को पुन: कुछ क्षणों के लिए स्मृति में जी लेता है और अपने वर्तमान तथा अतीत के मध्य सम्बन्ध सूत्रों का अन्वेषण करता चलता है। डॉ० गोविन्द त्रिगुणायत – आत्मकथा लेखक के जीवन की दुर्बलताओं, सबलताओं आदि का वह संतुलित और व्यवस्थित चित्रण है, जो उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व के निष्पक्ष उदघाटन में समर्थ होता है। डॉ० विश्व बंधु शास्त्री – आत्मकथा मात्र आत्म-प्रकाशन की विधा नहीं है, अपितु आत्मनिरीक्षण, आत्मपरीक्षण व आत्म-विश्लेषण की सर्वश्रेष्ठ प्रकिया भी है। अतएव इसका वियोजन आत्मप्रेषण के लिए ही नहीं, आत्म-विकास के लिए भी होता हैं। इस तरह आत्मकथा गद्य में रचित ऐसी विधा है, जब लेखक किसी अन्य का जीवन-चरित नहीं अपितु स्वयं अपने जीवन के अनुभूत सत्यों का, जगत् से प्राप्त तथ्यों का तटस्थ मूल्यांकन करता हुआ जीवन का सम्पूर्ण विवेचन कर देता हैं। लेखक इसमे स्वयं नायक होता है, इसलिए अपने गुणों-अवगुणों, अच्छाई-बुराई एवं कटु सत्यों का विवेचन कर देता है। आत्मकथाकार को तटस्थ, निष्पक्ष एवं ईमानदार होना अपेक्षित है। आत्मकथा लेखक अपने मौलिक विचारों को प्रकट करता हुआ भविष्य दृष्टा के रूप में विचारों की प्रस्तुति करे तो उसका भावी पीढ़ी के लिए महत्व बढ़ जाता है। जीवन में मंथन करने वाला आत्मकथा लेखक ऐतिहासिक घटनाओं एवं सम-सामयिक आन्दोलनों का चित्रण भी करता चलता है, जिससे आत्मकथा में रोचकता, सरसता एवं स्वाभाविकता आ जाती है।

आत्मकथा एवं समानार्थी विधाओं में अन्तर

आत्मकथा एवं आपबीती

इन दोनों में सूक्ष्म अन्तर है। आत्मकथा में जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं, अनुभूतियों का तटस्थ विश्लेषण किया जाता है, जबकि आपबीती जीवन की किसी दुखद घटना को चित्रित करती है। कभी – कभी लेखक किसी सुखद प्रसंग को भी आपबीती में व्यंजित कर देता है।

आत्मकथा एवं जीवनी

इनका उद्देश्य सम्पूर्ण जीवन की झलकियों को प्रस्तुत करना है, इस दृष्टि से कुछ समानता है। किन्तु जीवनी किसी व्यक्ति-विशेष को लेकर किसी अन्य लेखक के द्वारा लिखी जाती है, जबकि आत्मकथा में स्वयं की कहानी खुद लेखक कहता है। जीवनी का लेखक अन्य होता है, अत: उसके जीवन काल में या मृत्युपरांत भी लिखी जा सकती है, लेकिन आत्मकथा स्वयं के जीवनकाल में ही लिखी जानी सम्भव है।

आत्मकथा और संस्मरण

इनकी समानता इस रूप में है कि दोनों में बीती बातों का उल्लेख और स्मरण होता है। दोनों में विगत घटनाओं को चित्रित किया जाता है। तथापि दोनों में अन्तर है। संस्मरण में लेखक का ध्येय चयनित घटनाओं का लेखा-जोखा करने का रहता है, उसमें स्मृतियों का चित्रण होता है, जो आवश्यक नहीं कि क्रमबद्ध हो। किन्तु आत्मकथा में जीवन की समग्र घटनाओं का व्यवस्थित एवं शृंखलाबद्ध विवेचन होता है। आत्मकथा में चित्रित घटनाओं में विश्वसनीयता होती है। इसमे संस्मरण की भाँति स्वतन्त्रता नहीं रहती; संस्मरण में घटनाओं को तोड़-मरोड़ कर अपने ढ़ंग से निजी संवेदनाओं को चित्रित किया जा सकता है। लेकिन आत्मकथा में यथार्थ के प्रति विशेष आग्रह रहता है।

आत्मकथा और डायरी

डायरी लेखन में जीवन की वर्तमान घटनाओं का, देनन्दिन घटनाओं का तिथिवार उल्लेख किया जाता है। डायरी लेखक को अतीत की घटनाओं से स्मृतियाँ नहीं खोजनी पड़ती, अपितु डायरी आत्मकथा लेखन में मदद प्रदान करती है, उसे ठोस आधार देती है। मनुष्य जीवन में घटित घटनाएँ जब विस्मृत हो जाती हैं, तो डायरी के सहयोग से ही कालान्तर में पुन: उनके सहयोग से आत्मकथा प्रस्तुत की जा सकती है। बाबू राजेन्द्र प्रसाद, रामप्रसाद बिस्मिल, वीर सावरकर एवं जवाहर लाल नेहरू की लिखित आत्मकथाओं में निजी डायरी का भरपूर उपयोग किया गया था।

आत्मकथा की विशेषताएँ

आत्मकथा लेखक के जीवन का रोमांचक चित्र उपस्थित करती है। उसका जीवन-चरित देश और काल सापेक्ष होता है। उसमें युगीन विशेषताओं व घटनाओं की प्रस्तुति भी हो जाती है। आत्मकथाकार समाज और इतिहास का अंकन भी कर देता है, अपने समय की घटनाओं का चित्रण कर उनके बारे में निजी विचार भी प्रस्तुत कर देता है। आत्मकथा से युगीन प्रवृत्तियों एवं विकृतियों का ज्ञान भी मिल जाता है। आत्मकथाकार को बड़ी सावधानी रखनी पड़ती है। उसे अपने बारे में बढ़ा-चढ़ाकर चित्रण नहीं करना चाहिए। आत्मकथाकार को घटनाओं की प्रामाणिकता एवं विश्वसनीयता का ध्यान रखना पड़ता है। तभी उसमें रोचकता और सहजता आ सकती है।

हिन्दी आत्मकथा का विकास

भारतीय वाङ्ग्मय में कवि – कोविदों एवं साहित्य-सर्जकों ने सदैव ‘आत्मनंतूष्णीणं’ की भावना को ध्यान में रखा और वे अपने बारे मे मौन ही रहे। इसलिए आत्मकथा लेखन की प्रवृत्ति ही नहीं रही। इतना ही नहीं अपनी कृतियों के प्राक्कथन में अपना उल्लेख तक नहीं करते थे। तब भला जीवन-परिचय की तो अपेक्षा भी नहीं की जा सकती। अस्तु, कालिदास जैसे महान् कवि तो अपने को “कवियश चाहने वाला मन्दबुद्धि प्रार्थी” ही मानते थे। उन्होंने कहा भी है – मन्द: कवियश: प्रार्थी। किन्तु आधुनिक युग में आत्मकथा-लेखन की परम्परा विद्यमान है, इसलिए लेखक के व्यष्टिगत एवं समष्टिगत जीवन के सभी पक्षों का परिचय मिल जाता है। हिन्दी साहित्य में इस परम्परा की पहली कृति सन 1586 में कविवर बनारसीदास जैन की मिलती है, जो अकबर के शासन काल में लोकप्रिय हुए थे। तदनन्तर सन् 1875 में ऋषि दयानंद सरस्वती की आत्मकथा उल्लेखनीय है। 1901 में अम्बिकादत्त व्यास की तथा इसी अवधि में श्री सत्यानन्द अग्निहोत्री की आत्मकथाएँ क्रमशः ‘निज वृत्तान्त’ एवं ‘मुझमें देव जीवन का विकास’ नाम से प्रकाशित हुई। इनके कुछ समय पश्चात् डॉ० श्यामसुन्दर दास की ‘मेरी आत्म कहानी’ हिन्दी गद्य साहित्य की महत्त्वपूर्ण कृति मिलती है। किशोरीदास वाजपेयी के साहित्यिक संस्मरण भी इस कड़ी की उल्लेखनीय रचना हैं। 20 वीं शताब्दी में गद्य के विकास के साथ ही दर्जनों आत्मकथाएँ प्रकाशित हुई, जिन्हें मूलत: दो भागों में बाँटा जा सकता है।

राजनीतिज्ञों द्वारा लिखित आत्मकथाएँ

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अनेक क्रांतिकारियों एवं राजनीतिज्ञों ने अपनी देशप्रेम से ओत-प्रोत जीवन अनुभूतियों का लेखा – जोखा इन आत्मकथाओं में प्रस्तुत किया है। इनमें महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं – सर्व श्री भवानीदयाल संन्यासी की ‘प्रवासी की आत्मकथा’, आचार्य पंडित रामदेव की ‘मेरे जीवन के कुछ पृष्ठ’, श्री गणेश शंकर विद्यार्थी की ‘काकोरी के शहीद’, महात्मा गाँधी रचित ‘सत्य के प्रयोग’, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद रचित ‘मेरी आत्मकथा, एवं सत्यदेव परिव्राजक की ‘स्वतंत्रता की खोज में, आत्मवृत्तान्त की उन्नत रचनाएँ हैं। इनमें सम्बद्ध लेखकों की राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रीय आन्दोलन से सम्बन्धित घटनाओं का रोमांचकारी विवरण मिलता है। साथ ही अंग्रेजी से हिन्दी में अनूदित जवाहरलाल नेहरू की ‘मेरी कहानी’ भारतीय आत्मकथा साहित्य की महत्वपूर्ण कृति समझी जाती है, जो हमारे स्वाधीनता संग्राम का जीवन्त दस्तावेज कहा जा सकता है। इनके अतिरिक्त रामप्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपतराय, सुभाष चन्द बोस, डॉ० राधाकृष्णन, अब्दुल कलाम आजाद, वियोगी हरि एवं जयप्रकाश नारायण की आत्मकथाएँ भी अत्यन्त प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय हुई।

साहित्यकारों द्वारा लिखित आत्मकथाएँ

साहित्यिक आत्मकथाओं में सर्वप्रमुख रचना मुंशी प्रेमचंद रचित ‘जीवन सार’ है, जिसमें उनके प्रारम्भिक जीवन की घटनाएँ मिलती हैं। ‘हंस’ पत्रिका का विशेषांक आत्मकथांक में भी प्रेमचंद ने अपने जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश ड़ाला है। इनके अतिरिक्त रवीन्द्रनाथ टैगोर, कन्हैयालाल माणकलाल मुंशी, काका कालेलकर, राहुल सांकृत्यायन, शान्तिप्रिय द्विवेदी , यशपाल, सेठ गोविन्द दास, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, बाबू गुलाबराय तथा पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र की आत्मकथाएँ हिन्दी साहित्य की बहुमूल्य धरोहर हैं। महिला लेखिकाओं में डॉ० कुसुम अंसल व डॉ० कृष्णा अग्निहोत्री की आत्मकथाएँ भी प्रकाश में आई हैं। इन सभी में जीवन, जगत्, साहित्य, राजनीति, धर्म, संस्कृति पर लेखकों के निजी विचार एवं स्वयं की अनुभूत सच्चाइयों का बेबाक चित्रण मिलता है।

auto biographyआत्मकथाऑटोबायोग्राफी
  • 0
  • 0
  • 456
  • 0
  • 0
Answer
Share
  • Facebook
    Leave an answer

    Leave an answer
    Cancel reply

    Sidebar

    Ask A Question

    Related Questions

    • Manish kumar

      गंदगी मुक्त मेरा गांव निबंध

      • 4 Answers
    • Manish kumar

      शिक्षा प्रणाली में सुधर पर निबंध - siksha pranali me ...

      • 1 Answer
    • हारून शेख़

      जल प्रदुषण पर निबंध

      • 0 Answers
    • हारून शेख़

      वायु-प्रदूषण पर निबंध

      • 0 Answers
    • हारून शेख़

      स्वतंत्र युवापीढ़ी निबंध

      • 0 Answers

    Subscribe

    Explore

    • Add Post
    • Blog (ब्लॉग)
    • विषय (Categories)
    • Questions
      • New Questions
      • Trending Questions
      • Must read Questions
      • Hot Questions
      • Poll Questions
    • Polls
    • Tags
    • Badges
    • Users
    • Help

    Insert/edit link

    Enter the destination URL

    Or link to existing content

      No search term specified. Showing recent items. Search or use up and down arrow keys to select an item.